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मंगलवार, 23 फ़रवरी 2016

जञ्जीरा मन्त्र का द्वितीय प्रयोग"

जय माँ

जैसा की मैंने आप सभी से कहा था की शिघ्र ही जञ्जीरा मन्त्र का द्वितीय प्रयोग बताउगा।
इस मन्त्र का प्रकाशन मैंने ग्रुप में नवरात्रो में किया था और काफी लोगो ने इसे सिद्ध भी किया और प्रयोग किया। सभी को इसके आश्चर्य जनक लाभ प्राप्त हुए।
इसी कर्म में प्रस्तुत है मन्त्र का द्वितीय प्रयोग।
तो एक बार फिर से मन्त्र देख लेते है।

मन्त्र :

जय अम्बा भू की रानी, काली माता कालका, काला भैरो है मतवाला, हनुमान चिल्लेवाला
मेरा कार्य ना सहारो , तो दोहाई है गुरु गोरख नाथ की
अंजनी का पुत्र हनुमान साजै

ये जञ्जीरा मन्त्र है। आज का प्रयोग सिर्फ वहीँ करेगे जिन्होंने पूर्व में इसे सिद्ध किया था। कुछ दिनों पहले मैंने कुछ सामग्रियां एकत्र करने को कहा था, आशा है की आप सभी ने कर ली होगी। जो की इस प्रकार से थी,

11 कमल गट्टे
1 हल्दी की गाँठ
1 चांदी का सिक्का
1 छोटा इत्र ( गुलाब का भूल कर भी न लेवे )
1 ग्राम केसर
अब मुख्य प्रयोग और विधि पर आते है।
विधि= कल शाम के समय ये सारी सामग्री अपने सामने किसी लाल वस्त्र में रखे और जञ्जीरा मन्त्र की 1 माला जाप करे। जाप के बाद इसकी एक पोटली बना लेवे और किसी भी हनुमान मंदिर या लक्ष्मी जी के मन्दिर में जावे, वहाँ फिर से इस पोटली को रख कर 31 बार मन्त्र जाप करे। यदि आप ये प्रबन्ध कर सकते है की 3 दिनों के लिए ये पोटली मंदिर में ही रख सके तो उत्तम रहेगा,अन्यथा 3 दिन लगातार मंदिर जाकर 31 बार मन्त्र जाप करे।
ध्यान देवे की 1 माला जाप आपको मात्र प्रथम दिन,करनी है और और फिर उसी दिन से 3 दिन लगातार मन्दिर जाकर जाप करना है।
तीसरे दिन,अंतिम दिन मंदिर में जाप के बाद कहे
" हे नारायण अंग सहाई,माता महा लक्षमी माई मेरे संग,मेरे घर पधारिए"
ऐसा 3 बार बोले और आदर भाव से इस पोटली को घर लेकर आये और आते ही अपने धन स्थान में रख देवे। इस क्रिया और मन्त्र के प्रभाव से लक्ष्मी जी को आपके जीवन में आना ही होगा।
मंदिर जाते समय और आते समय न किसी से कुछ बोले और न कहि रुके।
माँ लक्ष्मी आपके जीवन को समृद्धि प्रदान करे।
जय माँ

ध्यान देवे= इस साधना को सिर्फ वही कर सकते है,जिन्होंने पूर्व में इस का प्रथम प्रयोग किया था और मन्त्र सिद्ध कर लिया था। अब यदि बिना सिद्धि के किसी ने ये प्रयोग किया तो उस घर से माँ लक्ष्मि सदा के लिए चली जायेगी। अतः बार बार कह रहा हु की सिर्फ वहीँ लोग इस प्रयोग को करे,जिन्होंने पूर्व में नवरात्रो में मन्त्र का जाप,हवन करके मन्त्र सिद्ध कर लिया था।

भगवती प्रणाम....!!!

पारद विग्रह योजना

‬:आज बाजार में पारद विग्रह को देखते हुए अत्यंत दुःख होता है। कैसे लोग रागे का विग्रह पारद के नाम पर बेच रहे है। लेने वाले भी इसमे बराबर के दोषी है। ये सोचने की बात है की जो वस्तु इतनी मूल्यवान है,वो इतनी सस्ती केसे हो सकती है।
शास्त्रो में लिखा है की पारद शिवलिंग के दर्शन मात्र से बारह ज्योतिर्लिंगों के दर्शन के फल प्राप्त होते है। तो फिर ये भी तो सोचिये की इतनी मूल्यवान वस्तु इतनी सस्ती कैसे
या फिर ये हो रहा है की सोना कह कर आपको पीतल दिया जा रहा है।
हम लोगो की बात नही करते।
आज सुबह से एक योजना पर मेरे कुछ लोगो के साथ विचार चल रहा था। क्या है ये योजना
अधिकतर मुझे कहते है की मेरे पारद विग्रह महंगे है, इसलिए वो ले नही पाते। उनसभी से मेरा कहना है की मैं सोने कहकर सोना ही दूंगा,पीतल नही।
अब मेरे कुछ लोगो ने सोचा है की वे लोग पारद विग्रहो के निर्माण के लिए अपना योगदान देंगे। जैसा वे दे सकते है। चाहे धन का हो या श्रम का। इससे होगा ये की हम कुछ साधको को पारद विग्रह कम राशि पर उपलब्ध करवा पायेगे। जो लोग वास्तव में आर्थिक समस्या के चलते विग्रह नही ले सकते थे,अब ले पायेगे।
अभी इसमे सिर्फ पारद श्री यंत्र और पारद शिवलिंग उपलब्ध् होंगे।
ये अघोर पद्ति से निर्मित होंगे तो इसमे वजन की महत्ता नही रहती।
जो पारद विग्रह अघोर पद्ति से आपको लगभग 31000 का पड़ता था। अब वो सिर्फ 11000 का ही आएगा।
इसका कार्य आज रात्रि से प्रारम्भ होगा। जो वास्तव में जरूरत मन्द है व्ही सम्पर्क करे।


भगवती प्रणाम.....!!!
आपमें से किसी को भी नई योजना के तहत पारद विग्रह चाहिए तो इस पर मेल करे।

bhagwatipranaam108@gmail.com

सिद्ध काजल एवम् इत्र

जय माँ.....
जन साधारण की मांग एवम् वर्तमान परिपेक्ष्य को देखते हुए वशीकरण के लिए "सिद्ध काजल" और "सिद्ध वशीकरण इत्र" का निर्माण किया जायेगा।
इनका उपयोग इन कार्यो में किया जा सकता है।
1.किसी को वश में करने के लिए
2.ऑफिस या कार्य स्थल पर अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए
3. साधना में सफलता प्राप्ति हेतु
4. वैवाहिक जीवन में कटुता नाश के लिए
5. ग्राहक आकर्षण के लिए
6. अपने व्यक्तित्व को आकर्षित बनाने के लिए
7.उच्च अधिकारियो के वशीकरण के लिए

और अभी अनेक तरह के सम्मोहन इनसे किये जा सकते है।

भगवती प्रणाम.....!!!

राम राम और 108



जय माँ.....
जब भी राम का नाम आता है तो हम राम-राम ही कहते है। प्रभु का नाम कभी एकल (राम) रूप में नही लिया जाता,बल्कि सामूहिक रूप ( राम-राम) से लिया जाता है। भारतीय फौज में आज भी अपने साथियो और उच्च अधिकारयों से राम राम बोल कर ही अभिवादन किया जाता है। जबकि गाँवो में तो ये आम बात है।
कभी सोचा है आपने की अकेले राम ही क्यों नही बोला जाता,राम राम ही क्यों।

तंत्र अपने आप में अनेको रहस्य समेटे हुए है। ऐसा ही एक रहस्य आज गुरुकृपा से में आपको बताने जा रहा हु। की कैसे सिर्फ एक बार "राम-राम" बोल कर हम पूरी एक माला जाप का फल प्राप्त कर सकते है।
हिंदी वर्ण माला में 52 अक्षर होते है। इनमे 16 स्वर और 36 व्यंजन है।
अब ज़रा राम शब्द पर गौर कीजिये
र+आ+म = राम
वर्ण माला के अनुसार यदि इन्हें अंक दिए जाए तो
र= 27
आ=2
म=25

योग होगा =54
एक बार "राम"का योग 54 तो 2 बार राम राम बोलने पर
54+54= 108
और ये बताने की तो आवश्यकता ही नही की माला में संख्या 108 होती है।
तो ये है प्रभु श्री राम के नाम की महिमा जो सिर्फ नाम ले देने से एक माला पूरी कर देती है।
तो अब से हाय हेल्लो छोड़िये..... राम राम बोलिये
जय माँ

भगवती प्रणाम.....!!!