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मंगलवार, 23 फ़रवरी 2016

जञ्जीरा मन्त्र का द्वितीय प्रयोग"

जय माँ

जैसा की मैंने आप सभी से कहा था की शिघ्र ही जञ्जीरा मन्त्र का द्वितीय प्रयोग बताउगा।
इस मन्त्र का प्रकाशन मैंने ग्रुप में नवरात्रो में किया था और काफी लोगो ने इसे सिद्ध भी किया और प्रयोग किया। सभी को इसके आश्चर्य जनक लाभ प्राप्त हुए।
इसी कर्म में प्रस्तुत है मन्त्र का द्वितीय प्रयोग।
तो एक बार फिर से मन्त्र देख लेते है।

मन्त्र :

जय अम्बा भू की रानी, काली माता कालका, काला भैरो है मतवाला, हनुमान चिल्लेवाला
मेरा कार्य ना सहारो , तो दोहाई है गुरु गोरख नाथ की
अंजनी का पुत्र हनुमान साजै

ये जञ्जीरा मन्त्र है। आज का प्रयोग सिर्फ वहीँ करेगे जिन्होंने पूर्व में इसे सिद्ध किया था। कुछ दिनों पहले मैंने कुछ सामग्रियां एकत्र करने को कहा था, आशा है की आप सभी ने कर ली होगी। जो की इस प्रकार से थी,

11 कमल गट्टे
1 हल्दी की गाँठ
1 चांदी का सिक्का
1 छोटा इत्र ( गुलाब का भूल कर भी न लेवे )
1 ग्राम केसर
अब मुख्य प्रयोग और विधि पर आते है।
विधि= कल शाम के समय ये सारी सामग्री अपने सामने किसी लाल वस्त्र में रखे और जञ्जीरा मन्त्र की 1 माला जाप करे। जाप के बाद इसकी एक पोटली बना लेवे और किसी भी हनुमान मंदिर या लक्ष्मी जी के मन्दिर में जावे, वहाँ फिर से इस पोटली को रख कर 31 बार मन्त्र जाप करे। यदि आप ये प्रबन्ध कर सकते है की 3 दिनों के लिए ये पोटली मंदिर में ही रख सके तो उत्तम रहेगा,अन्यथा 3 दिन लगातार मंदिर जाकर 31 बार मन्त्र जाप करे।
ध्यान देवे की 1 माला जाप आपको मात्र प्रथम दिन,करनी है और और फिर उसी दिन से 3 दिन लगातार मन्दिर जाकर जाप करना है।
तीसरे दिन,अंतिम दिन मंदिर में जाप के बाद कहे
" हे नारायण अंग सहाई,माता महा लक्षमी माई मेरे संग,मेरे घर पधारिए"
ऐसा 3 बार बोले और आदर भाव से इस पोटली को घर लेकर आये और आते ही अपने धन स्थान में रख देवे। इस क्रिया और मन्त्र के प्रभाव से लक्ष्मी जी को आपके जीवन में आना ही होगा।
मंदिर जाते समय और आते समय न किसी से कुछ बोले और न कहि रुके।
माँ लक्ष्मी आपके जीवन को समृद्धि प्रदान करे।
जय माँ

ध्यान देवे= इस साधना को सिर्फ वही कर सकते है,जिन्होंने पूर्व में इस का प्रथम प्रयोग किया था और मन्त्र सिद्ध कर लिया था। अब यदि बिना सिद्धि के किसी ने ये प्रयोग किया तो उस घर से माँ लक्ष्मि सदा के लिए चली जायेगी। अतः बार बार कह रहा हु की सिर्फ वहीँ लोग इस प्रयोग को करे,जिन्होंने पूर्व में नवरात्रो में मन्त्र का जाप,हवन करके मन्त्र सिद्ध कर लिया था।

भगवती प्रणाम....!!!

पारद विग्रह योजना

‬:आज बाजार में पारद विग्रह को देखते हुए अत्यंत दुःख होता है। कैसे लोग रागे का विग्रह पारद के नाम पर बेच रहे है। लेने वाले भी इसमे बराबर के दोषी है। ये सोचने की बात है की जो वस्तु इतनी मूल्यवान है,वो इतनी सस्ती केसे हो सकती है।
शास्त्रो में लिखा है की पारद शिवलिंग के दर्शन मात्र से बारह ज्योतिर्लिंगों के दर्शन के फल प्राप्त होते है। तो फिर ये भी तो सोचिये की इतनी मूल्यवान वस्तु इतनी सस्ती कैसे
या फिर ये हो रहा है की सोना कह कर आपको पीतल दिया जा रहा है।
हम लोगो की बात नही करते।
आज सुबह से एक योजना पर मेरे कुछ लोगो के साथ विचार चल रहा था। क्या है ये योजना
अधिकतर मुझे कहते है की मेरे पारद विग्रह महंगे है, इसलिए वो ले नही पाते। उनसभी से मेरा कहना है की मैं सोने कहकर सोना ही दूंगा,पीतल नही।
अब मेरे कुछ लोगो ने सोचा है की वे लोग पारद विग्रहो के निर्माण के लिए अपना योगदान देंगे। जैसा वे दे सकते है। चाहे धन का हो या श्रम का। इससे होगा ये की हम कुछ साधको को पारद विग्रह कम राशि पर उपलब्ध करवा पायेगे। जो लोग वास्तव में आर्थिक समस्या के चलते विग्रह नही ले सकते थे,अब ले पायेगे।
अभी इसमे सिर्फ पारद श्री यंत्र और पारद शिवलिंग उपलब्ध् होंगे।
ये अघोर पद्ति से निर्मित होंगे तो इसमे वजन की महत्ता नही रहती।
जो पारद विग्रह अघोर पद्ति से आपको लगभग 31000 का पड़ता था। अब वो सिर्फ 11000 का ही आएगा।
इसका कार्य आज रात्रि से प्रारम्भ होगा। जो वास्तव में जरूरत मन्द है व्ही सम्पर्क करे।


भगवती प्रणाम.....!!!
आपमें से किसी को भी नई योजना के तहत पारद विग्रह चाहिए तो इस पर मेल करे।

bhagwatipranaam108@gmail.com

सिद्ध काजल एवम् इत्र

जय माँ.....
जन साधारण की मांग एवम् वर्तमान परिपेक्ष्य को देखते हुए वशीकरण के लिए "सिद्ध काजल" और "सिद्ध वशीकरण इत्र" का निर्माण किया जायेगा।
इनका उपयोग इन कार्यो में किया जा सकता है।
1.किसी को वश में करने के लिए
2.ऑफिस या कार्य स्थल पर अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए
3. साधना में सफलता प्राप्ति हेतु
4. वैवाहिक जीवन में कटुता नाश के लिए
5. ग्राहक आकर्षण के लिए
6. अपने व्यक्तित्व को आकर्षित बनाने के लिए
7.उच्च अधिकारियो के वशीकरण के लिए

और अभी अनेक तरह के सम्मोहन इनसे किये जा सकते है।

भगवती प्रणाम.....!!!

राम राम और 108



जय माँ.....
जब भी राम का नाम आता है तो हम राम-राम ही कहते है। प्रभु का नाम कभी एकल (राम) रूप में नही लिया जाता,बल्कि सामूहिक रूप ( राम-राम) से लिया जाता है। भारतीय फौज में आज भी अपने साथियो और उच्च अधिकारयों से राम राम बोल कर ही अभिवादन किया जाता है। जबकि गाँवो में तो ये आम बात है।
कभी सोचा है आपने की अकेले राम ही क्यों नही बोला जाता,राम राम ही क्यों।

तंत्र अपने आप में अनेको रहस्य समेटे हुए है। ऐसा ही एक रहस्य आज गुरुकृपा से में आपको बताने जा रहा हु। की कैसे सिर्फ एक बार "राम-राम" बोल कर हम पूरी एक माला जाप का फल प्राप्त कर सकते है।
हिंदी वर्ण माला में 52 अक्षर होते है। इनमे 16 स्वर और 36 व्यंजन है।
अब ज़रा राम शब्द पर गौर कीजिये
र+आ+म = राम
वर्ण माला के अनुसार यदि इन्हें अंक दिए जाए तो
र= 27
आ=2
म=25

योग होगा =54
एक बार "राम"का योग 54 तो 2 बार राम राम बोलने पर
54+54= 108
और ये बताने की तो आवश्यकता ही नही की माला में संख्या 108 होती है।
तो ये है प्रभु श्री राम के नाम की महिमा जो सिर्फ नाम ले देने से एक माला पूरी कर देती है।
तो अब से हाय हेल्लो छोड़िये..... राम राम बोलिये
जय माँ

भगवती प्रणाम.....!!!

सोमवार, 18 जनवरी 2016

कार्य क्षेत्र पर षड्यंत्र नाश करने हेतु प्रयोग




कभी कभी हमारे आस पास या हमारे कार्य स्थान पर कोई न कोई हमारे विरुद्ध षड़यंत्र रच रहा होता है. इसका असर हमारे काम और मन दोनों पर पड़ता है.
आज के प्रयोग से उस इन्सान के सभी क्रियाकलापों पर पाबन्दी लग जाती है.
यह प्रयोग बीज मंत्रो से युक्त है अतः पूर्ण सावधानी से करना चाहिए
प्रयोग का दुरपयोग न करे अन्यथा स्वयं को ही हानि होगी
शनिवार रात्रि ८ बजे बाद शिव मंदिर में जाए हनुमानी सिंदूर में उपले की राख मिला कर इसे पानी में घोट कर स्याही बना ले!
अब शिवमंदिर में शिवलिंग के ही सामने एक कागज पर इस श्याही से एवं अनार की कलम से यह मंत्र सत्रु के नाम के साथ लिखे

हूं ह्रौं हूं ह्रीं हूं फट् अमुक हूं ह्रौं हूं ह्रीं हूं फट्

और इस मंत्र की ३ माला जाप करे!
चाहे तो जाप घर पर कर सकते है परन्तु कागज वाली क्रिया आपको शिवलिंग के सामने ही करनी होगी! जिनके पास पारद लिंग है वे घर पर ही सारी क्रिया कर सकते है!
इस प्रयोग को शनिवार-रविवार-मंगलवार तीनो दिन करना है,कागज पर नाम लिखने वाली क्रिया मात्र शनिवार को ही करनी है
अंतिम दिन , मंगलवार को जाप के बाद इस कागज को किसी वीरान जगह गाड़ देना चाहिए
इस तीन दिनों के प्रयोग को बार बार करना चाहिए ताकि आपकी ऊर्जा का विस्तार हो सके
अमुक की जगह सत्रु का नाम लिखना एवं जाप के मध्य बोलना चाहिए

भगवती प्रणाम...!!!

बीर कंकड़


जय माँ......
तंत्र मात्र वो नही है जो हम देख रहे है। साधना,प्रयोग,उपाय आदि से भी कहि ऊपर है तंत्र। वास्तव में तंत्र बहुत दूर की कौड़ी है। इसमे शक्ति चलती है। काम होता है और कौतुक दर्शन होता है।
हमेशा से मैं एक शब्द कहता हु.......ऊर्जा
हर प्रयोग,साधना के पीछे एक ऊर्जा होती है जो कार्य करती है। ज़्यादातर हम प्रयोग या साधना के बारे में बात करते है किन्तु उसके पीछे की ऊर्जा की और किसी का ध्यान नही जाता। आज हम एक ऐसी ही उर्जा की बात करेगे।
" वशीकरण" ये शब्द कितना अच्छा लगता है ना
पर इसका मतलब सभी के लिए अलग अलग होता है।
जब मैंने ग्रुप में लिखना शुरू किया तो बार बार यही देखने को मिला की लोग वशीकरण का अर्थ सिर्फ अपनी वासना पूर्ति के लिए ले रहे है। आज भी अनेको के सन्देश प्राप्त होते है की अमुक का वशीकरण करना है, विधि बता दो। तब मैंने यही सोचा था की अपने ग्रुप को इस शब्द से हमेशा दूर रखूँगा और मैंने रखा भी है। ये बात अलग है की किसी के घरेलू मामलो में जैसे की सास -बहु में, पिता पुत्र में आदि रिश्तो में यदि कभी वशीकरण की आवश्यकता पड़ी तो ऐसे उपाय अवश्य दूंगा जो की दिए भी है। परंतु, अकारण कभी नही

आज की पोस्ट तंत्र के चमत्कार से परिपूर्ण है। "बीर कंकड़" एक ऐसी शक्ति है जो किसी का भी वशीकरण कर सकती है। तो जानिये की क्या होता है इस साधना में

जो लोग तंत्र को ठीक तरह से जानते है उन्होंने वीर का नाम अवश्य सुना होगा। 64 जोगिनी की तरह ही 52 वीर होते है।कुछ साधक इन्हे अपने अधीन करके कार्य सिद्ध करते है। वीर एक शमशान की शक्ति है,जो बड़ी उग्र एवम् ताकतवर होती है। अन्य भाषा में आप इसे श्मसान का मुर्दा कह सकते है,जिसमे प्राण फुक कर अपने अधीन किया जाता है और फिर आजीवन ये आपके लिए एक दास की तरह कार्य करता है जो भी आप इसे बोलो। इसी तरह से कुछ दिनों की जटिल श्मशानी क्रिया के बाद एक वीर को एक कंकड़ में स्थापित कर दिया जाता है। या यूँ कहे की क़ैद कर दिया जाता है। इसके बाद ये वीर मात्र छोटी सी क्रिया के बाद आपके लिए किसी का भी वशीकरण कर सकता है। और इसके द्वारा किये गए वशीकरण को सिर्फ गुरु पद पर आसीन उच्च कोटि के साधक ही तोड़ सकते है,सामान्य की तो बात ही क्या है।
ये जानकारी पूर्ण होती है वीर कंकड़ की। अब कुछ लोग सोचेगे की साधना बता देते तो अच्छा होता। तो इसके लिए में अपना एक अनुभव बता रहा हु।
लगभग 3 साल पहले मेरे एक परिचित ने किसी से कोई साधना करवाई जो की कुछ कुछ ईसी तरह की थी। कर्ता ने कुछ चूक कर दी जो की होती ही है। न उन्होंने स्वयं की सुरक्षा की और न परिचित से पूर्ण मार्गदर्शन लिया।
बैठ गए साधना करने, कुछ समय बाद जब शक्ति का आगमन हुआ तो व्ही हुआ जो नव साधको के साथ होता है। श्रीमान अपना आसान छोड़ कर भाग छुटे और उनके प्राणों पर संकट आ गया। स्थिती यहाँ तक आ गयी की उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती करवाना पड़ा और कुछ दिनों के उपरांत वे मृत्यु को प्राप्त हुए। इनके घर वालो ने पुलिस को बयान दिया की मेरे परिचित के कहने पर उन्होंने प्रयोग किया, नतीजन उन्हें जेल जाना पड़ा। मुझे सारी बातो का पता 1 माह बाद पता चला। तब पुरे मामले में ह्क्तक्षेप किया और वे छुट पाये।

तब से मैंने यही सोचा की किसी अनाड़ी को कभी कोई ऐसे प्रयोग आदि नही दूंगा। ऐसे प्रयोग हर किसी को देना  बन्दर के हाथ में उस्तरा थमाने जैसा है।
इसके पीछे मेरी भावना स्वयं के डर को लेकर नही है। मेरे गुरु और भगवती के आशिर्वाद से मैं "निर्भय" हु। किन्तु मुझे चिंता होती है उन साधको की जो अपनी स्थ्ति को न समझ कर अपने प्राणों पर संकट उत्पन्न कर लेते है और उनके कारण उनके परिवारजनो को भी कष्ठ होता है।
वीर कंकड़ में एक गोपनीय सूत्र ये भी है की ये सारी क्रिया के मध्य "वज्र कड़ा" पहने रहना आवश्यक है। अन्यथा वीर पलट कर हमला कर देता है। आप ही सोचिये की एक स्वतंत्र रूप से विचरण करने वाली शक्ति को आप एक छोटे से कंकड़ में कैद कर रहे है तो प्रतिकार का अधिकारी तो वीर भी है।
आज के लेख के पीछे मेरा कारण आपको तंत्र के इस मार्ग से भी परिचित करवाना था। साथ ही ये बताना की किसी योग्य साधक के निर्देशन में ही बड़ी क्रियाएँ करे।
यदि किसी को ये वीर चाहिए तो मुझसे सम्पर्क कर सकता है। सदपात्र, को भगवती आज्ञानुसार वीर दे दिया जायेगा।
सभी सुखी रहे।
एक विलक्षण पोस्ट के साथ शीघ्र मिलेगे,अभी के लिए आज्ञा

कृपया ध्यान देवे:
किसी को भी ये बीर साधना नही दी जायेगी, क्यों की मेरे पास इतना समय है नही की सभी को अलग अलग जगह पर बीर सिद्ध करवा सकु।
हा, समय आने पर कंकड़ जरूर मुझसे प्राप्त किया जा सकता है जिसमे बीर सिद्ध है,क़ैद है। कंकड़ प्राप्ति के बाद मात्र आपको घर पर छोटी सी क्रिया करनी होती है जिससे आप किसी का भी वशीकरण कर पायेगे।
अतः मुझसे कंकड़ के लिए सम्पर्क करे, साधना के लिए। साधना के मध्य वैसा कुछ हो सकता है जैसा मैंने ऊपर लिखा
इसलिए साधना पर जोर न देवे।

भगवती प्रणाम......!!!

शनिवार, 16 जनवरी 2016

परकृत बाधा नाशक यन्त्र:



जय माँ....
यंत्र श्रंखला में एक और गोपनीय यंत्र प्रस्तुत है। यह यंत्र जहाँ भी रहता है वहाँ किसी तरह का तंत्र प्रयोग काम नही करता। बुरी नज़र नही लगती। दुश्मनो के षड्यंत्र नही चलते। घर में सदा मंगल रहता है।

                 ||यन्त्र निर्माण विधि||
निचे यंत्र का स्वरूप दिया गया है। ठीक इसी प्रकार से यंत्र का निर्माण होगा। किसी भी शनिवार को रात्रि 10 बजे के बाद भोजपत्र पर निर्माण करे। अनार की कलम एवम् रक्त चंदन की स्याही से यंत्र लिखे।
यंत्र लिखने का कर्म अंको के बढ़ते कर्म से होगा
यथा....पहले खाने बना लेवे और फिर सबसे पहले अंक भरे 1, फिर 9,पुनः9, अब 11, फिर 25, इसके बाद 27,33,37,45,49,49,72,81,82 और अंत में 91

इस प्रकार यंत्र लिखने का कर्म पूर्ण होता है। यंत्र के सूखने के बाद इसका पूजन कर लेवे और अब जिस प्रकार अंक भरे थे उसी प्रकार हर अंक पर अपनी दाहिने हाथ की अनामिका को रख कर 11 बार ये मन्त्र बोले
             ॐ चैतन्य गोरक्षनाथ नमः
अब फिर से यंत्र को धुप-दीप दिखाए और इस यंत्र को अपने घर की किसी भी दीवार पर पूर्व की और लगा देवे। प्रतिदिन सुबह शाम यंत्र के धुप करते रहे और चमत्कार देखे।
आपका प्रयोग पूर्ण हुआ अब मैं अपनी बात पर आता हु।
मैंने फिर से आप सभी के लिए तंत्र का गोपनीय विधान उजागर कर दिया है। मेरे समस्त प्रयोग,मन्त्र,यंत्र आदि वहीँ होते है जिनके लिए आप कहि न कहि अत्यधिक पैसा ख़र्च कर चुके है। आज का प्रयोग भी ऐसा ही है कुछ। अनेक साधक इस यंत्र के नाम पर हजारो रुपये ले लेते है और होता कुछ है नही उससे।
निःसन्देह मैं पागल नही हु की आपको इतना सब कुछ बता रहा हु। यदि मैं आपके लिए इतना सोच रहा हु, इतना कर रहा हु तो बदले में मुझे भी आपसे कुछ चाहिए।
कहते है की बिना स्वार्थ के कोई कुछ काम नही करता।मैं भी नही कर रहा। तो मैं बताता हु की मुझे आपसे क्या चाहिए
मुझे चाहिए की आप इस यंत्र का निर्माण करे और अपने घर पर इसे स्थापित करे। मैं चाहता हु की आप सभी के घर पूर्णतया सुरक्षित रहे। मैं चाहता हु की मेरी बहने,बेटियां, छोटे बच्चे हमेशा खुश रहे। इस ग्रुप के हर मेम्बर का घर मेरा घर है और आर्यन के घर में कभी कोई परेशानी नही रह सकती।
आर्यन के घर में,आर्यन में,स्वयं भगवती का वास है। तो वहाँ किसी समस्या का क्या काम?
अतः सभी इस यन्त्र का निर्माण करे और सुखी रहे।
सभी आनंद में रहे, सुखी रहे।
बाकी बाते अगली पोस्ट में
अभी के लिए आज्ञा

भगवती प्रणाम......!!

शुक्रवार, 15 जनवरी 2016

मकर सक्रांति 2016

जय माँ......
ग्रुप के मेरे सभी सदस्यों को मकर सक्रांति की हार्दिक शुभकामनाये
शिवशक्ति आपका जीवन आनंद,प्रेम,सुख,ऐश्वर्य, से परिपूर्ण करे।
पराविद्या,परम आदरणीया भगवती ज्येष्ठा माँ धूमावती जी आपकी समस्त आर्थिक कष्टो का अंत करे।
तरणी माँ तारा सभी को निरोग बनावे।
अखंड,अनंत,विराट ब्रमाण्ड की स्वामिनी 
राजराजेराजस्वरि परम पूजनीया मेरी माँ
आद्या भगवती कामाख्या कालिका जी सभी को सम्पूर्ण सुखो से पूरित करे।

भगवती प्रणाम....!!!
गुरूमाई प्रणाम....!!!

मंगलवार, 12 जनवरी 2016

सुखदायी यात्रा हेतु दुर्लभ शाबर मन्त्र:



आज के न्यूज़ पेपर को पढ़ कर इस पोस्ट को लिखने की प्रेरणा मिली। राजस्थान में देशनोक,श्री करनी माता जी के जाते समय मार्ग में एक सड़क दुर्घटना में 3 लोगो की मृत्यु हो गयी। भगवती इन सभी को अपने धाम में आश्रय प्रदान करे।
जय माँ
आज कल ये एक आम सी बात हो गयी है की किसी धर्मिक यात्रा पर जाते समय कोई न कोई दुर्घटना की खबर हम सुन और पढ़ रहे है। ऐसा क्या कारण है की लोग बड़े मन,श्रद्धा से यात्रा पर निकलते है और काल के ग्रास बन जाते है। इस बारे में कभी और चर्चा करेगे।
आज फिर से शाबर विद्या का परम् गोपनीय मन्त्र लेकर आया हु मैं। न कभी कहि देखा होगा न कभी सुना होगा।
इस मन्त्र से आपको दैनिक सुरक्षा प्राप्त होती है। यात्रा के समय यह मन्त्र आपकी यात्रा को सकुशल बनाता है, सभी की पूर्ण सुरक्षा करता है।
हम बड़े जतन,मन,श्रद्धा भाव से किसी यात्रा का कार्यक्रम बनाते है। ऐसे में यात्रा यदि किसी धार्मिक स्थल की होतो कहना ही क्या
किन्तु, भगवती को कभी कभी आपका आगमन स्वीकार नही होता। यात्रा से पूर्व घर में कुछ ऐसे योग बनते है जो बताते है की आपकी यात्रा ठीक नही, पर हम उन्हें समझ नही पाते और निकल पड़ते है।
आपकी किसी भी तरह की यात्रा चाहे वह एकल हो या सामूहिक उसे निर्विघ्न सम्पन करने के लिए आज का प्रयोग है।
कुछ समय पूर्व मैंने एक गोपनीय शाबर मन्त्र दिया था जिसे हनुमान जञ्जीरा कहा था मैंने,उसके प्रयोग अनेको ने किये और आज भी कर रहे है।
इस मन्त्र के अति विलक्षण परिणाम साधको को प्राप्त हो रहे है। इसी क्रम में एक और मन्त्र आज प्रस्तुत है।
इस मन्त्र से पूर्ण सुरक्षा प्राप्त होती है। आपकी सुरक्षा से ही सब सुख है।
पहले मन्त्र देख लेते है
                 ||मंत्र||
छाड़ो पंथ,जीव, जंतु, आदि के अन्त
बिछी साँप,भालु, बाधा सटे दंत
आदेश पिता धर्म की दुहाई
आज्ञा हारि मासि चण्डी की दोहाई

ध्यान देवे: मन्त्र को जैसा लिखा है वैसे ही जाप करे। तीसरी लाइन के आखिर में दुहाई लिखा है और अंतिम पक्ति के आखिर में दोहाई
अतः दोनों का उच्चारण दुहाई एवम् दोहाई ही होगा। दोनों शब्द भिन्न है। दोनों का उच्चारण एक सा न करे।

         ||मन्त्र को अनुकूल करने की विधि||
किसी षुक्ल पक्ष के रविवार को सांय 7 बजे के बाद 5 अगरबत्ती जला कर अपने सामने 5 बताशे रखे और मन्त्र का 31 बार जाप करे। सिर्फ अगरबत्ती और बताशे ही रखे अन्य किसी उपक्रम की आवश्यकता नही है।
अब मंगल और शनि को भी यही क्रिया दोहरादेवे। 5 बताशे सिर्फ प्रथम दिन,रवि को ही रखने है एवम् अगरबत्ती तीनो दिन लगानी है।
3 दिनों के क्रिया के बाद फिर से रविवार को ये 5 बताशे किसी मंदिर में दे देवे।
मन्त्र आपके लिए सिद्ध हो गया है।

                  ||कार्य विधि||
एकल रूप से स्वयं की दैनिक सुरक्षा के लिए घर से निकलने के पूर्व 11 बार मन्त्र का जाप करे और अपने सिने पर 3 फुक मार लेवे

किसी यात्रा आदि पर जाने से पूर्व 2 नीम्बुओं को उक्त मन्त्र से 21-21 बार अभिमन्त्रित करे। ध्यान रहे की पहले 1 निम्बू पर 21 बार जाप होगा, इसके उपरांत दूसरे निम्बू पर 21 बार।
अब इन दोनों नीम्बुओं को अपने वाहन आदि के दोनों टायरों के निचे इस तरह से रखे की गाड़ी इन पर से जाए।
जेसे ही वे दोनों निम्बू आपकी गाड़ी के निचे कुचले जायेगे,तत्क्षण ही आपके समस्त विघ्न,बाधा नष्ठ हो जायेगे।

एकल या सामूहिक रूप से सुरक्षा हेतु इस मन्त्र का जाप आपको पूर्ण आनंद प्रदान करेगा।
पराभगवती आपको एवम् आपके परिवार को सुखी रखे।

भगवती प्रणाम......!!!

शनिवार, 9 जनवरी 2016

हनुमान एवम् स्त्रियां



ये विषय सदा से लोगो के मध्य गंभीर रहा है,या यु कहु की बस व्यर्थ में गंभीर बनाकर रखा हुआ है की,स्त्रियों को हनुमानजी की पूजा नहीं करना चाहिए या उन्हें स्पर्श नहीं करना चाहिए,या उनकी साधना नहीं करना चाहिए।

आखिर ऐसा क्या दोष है स्त्री में की समाज के कुछ ज्ञानीजन उन्हें हनुमान पूजा का अधिकारी नहीं मानते है ?
क्या उनका दोष केवल इतना ही है की हनुमानजी ब्रह्मचारी है,और स्त्रियों के स्पर्श से उनका ब्रह्मचर्य खंडित हो जायेगा ?
अगर मात्र स्पर्श करने से ब्रह्मचर्य खंडित होता है तो,फिर सभी गुरुपद पर आसीन गुरुओं का भी ब्रह्मचर्य हर क्षण खंडित हो रहा है.क्युकी उनकी तो ना जाने कितनी ही स्त्री शिष्य है जो उनके चरण छूती है।
 ब्रह्मचर्य तो तब खंडित होगा न जब हम किसी स्त्री के स्पर्श करने पर अपने मन में काम भाव लाएंगे। और ज्ञानिसमाज क्या हनुमानजी को इतना निर्बल मानते है,की एक साधारण स्त्री के स्पर्श से उनके भीतर काम भाव जाग जायेगा और उनके ब्रह्मचर्य खंडित हो जायेगा।
अरे जिन्हे स्वर्ग की अप्सराये,यक्षिणियां आदि अपनी और आकर्षित नहीं कर पायी तो उन्हें सांसारिक स्त्री कैसे आकर्षित कर पायेगी।जब भी श्री प्रभु के समक्ष कोई स्त्री जाती थी.तो वे उन्हें माता कहकर सम्बोधित कर देते थे.या बहिन कहकर सम्बोषित कर देते थे.जिनका जन्म एक स्त्री के गर्भ से हुआ हो,उनका स्त्री से कैसा बैर.हनुमानजी कामासक्त नहीं है.परन्तु ब्रह्मचर्य क्या है वे ये भली भाती जानते है.

अगर स्त्रियों का स्पर्श वर्जित है,तो क्यों हनुमान माता अंजना के चरण स्पर्श करते है.अब ये न कहना की वो तो उनकी माँ थी,ये बहुत पुराने बहाने हो चुके है.अगर वो उनकी माँ थी तो जो राक्षसी होती थी वो तो उनकी माँ नहीं होती थी न फिर क्यों प्रभु उनसे युद्ध करते थे और एक मुष्टि प्रहार से उनका वध कर दिया करते थे.क्यों प्रभु ने स्पर्श किया एक राक्षसी का ?
ऐसे कई प्रश्न है जिनका उत्तर हमारे ज्ञानी समाज के पास नहीं है.हर स्त्री हनुमानजी की पूजा कर सकती है,साधना कर सकती है,उनकी परिक्रमा कर सकती है.आपके स्पर्श से उन्हें कोई अंतर नहीं पड़ने वाला है.हा आपका मन दूषित हो तो बात अलग है.अन्यथा किसी स्त्री का इतना सामर्थ्य नहीं है की स्पर्श मात्र से प्रभु के मन को विचलित कर दे.अगर आप ऐसा सोचते है तो आप अपने हनुमान को बहुत काम आक रहे है.और अपने भगवान के सामर्थ्य पर शंका करने से अच्छा है की हम भक्ति करना ही छोड़ दे.
हर स्त्री प्रभु की भक्ति तथा साधना कर सकती है.हनुमानजी को गुरु के रूप में पूजे बड़े भाई के रूप पूजे और फिर देखे की उनकी कृपा आप पर बरसती है की नहीं। जो लोग तंत्र मार्ग में है वे प्रत्यंगिरा को तो जानते ही होंगे,माँ का ही उग्र स्वरुप है प्रत्यंगिरे। माँ पूर्ण दिगंबर अवस्था में दिगंबर शिव की गोद में हिमालय के उच्च शिखर पर बैठी है.किसी बात को लेकर माँ क्रोधित हो जाती है,और पुनः शांत होने पर शिव से कहती है,की है शम्भू मेरे उस उग्र स्वरुप के बारे में आप कुछ कहे जो कुछ क्षण पहले मैंने धारण किया था.शिव ने कहा की आज से तुम प्रत्यंगिरा कहलाओगी तंत्र में तुम्हारा विशेष स्थान होगा। शिव के दिगंबर देह से दिगंबर अवस्था में प्रकट होती है प्रत्यंगिरा,अंग पर एक धागा भी नहीं है.इसी लिए प्रत्यंगिरा है.कृत्या तक को भस्म कर देने वाली,एक हुंकार मात्र से ब्रह्माण्ड को फोड़ देने वाली ये प्रत्यंगिरा।और हर देवता के अंग में विराजती है प्रत्यंगिरा।जब क्रोध में आ जाती है तो अच्छे अच्छो को नग्न करके रख देती है प्रत्यंगिरा।इसी प्रत्यंगिरा का प्राकट्य हुए श्री हनुमानजी की देह से भी.
जब हनुमानजी की तपती देह से मकरध्वज ने जन्म लिया, तो श्री प्रभु इस बात को स्वीकार नहीं कर पाये। क्रोध में भर गए,और उनके इसी क्रोध में तपते देह से उत्पन्न हुई हनुमत प्रत्यंगिरा। प्रत्यंगिरा नग्न है अतः वो लोगो के विचारो में दौड़ती है मनुष्य स्वयं के सामने ही नग्न हो जाता है,ऐसे उसकी सत्यता को खोलकर रख देती है प्रत्यंगिरा। इसी देवी ने हनुमानजी के मन को शांत किया।और उसी दिन से प्रत्यंगिरा का एक नाम और हुआ हनुमत प्रत्यंगिरा। जो हनुमत प्रत्यंगिरा को पूज लेता है उसके शत्रु काल के मुख में समां जाते है,पूर्ण उग्र और तंत्र की मुख्य देवियों में से है हनुमत प्रत्यंगिरा। हनुमान के तप करने पर उनके ही अंग से प्रकट होती है यह देवी। भविष्य में इस विषय पर भी चर्चा अवश्य होगी।आज ये बताने कका केवल इतना ही उद्देश्य था की प्रभु के श्री अंग में एक स्त्री विराजती है जिसे तंत्र ने हनुमत प्रत्यंगिरा कहा है.तो आप उन्हें स्त्री तत्त्व से दूर कैसे करेंगे ?

परमेश्वर ने सभी को सामान अधिकार दिए है अतः कोई भेद ना करे.अपने दर्शनशास्त्र के आधार पर सत्यता को हम नकार नहीं सकते है.अतः स्त्रियों को भी समान अधिकार प्रदान करे.ये स्त्री समाज की शक्ति है.इनमे बड़ा धैर्य है!  प्रभु आपके लिंग को नहीं आपकी भावनाओं को देखते है.पुरुष के भटकने के अवसर अधिक होते है परन्तु स्त्री मन से दृढ़ होती है अपने संकल्प के प्रति इस कारण वो भटकती नहीं है.और प्रभु की कृपा की पात्र बनती है.अधिक लिखने से कोई लाभ नहीं है .जिन्हे समझना है वे इतने में ही समझ जायेंगे।और जो समझना नहीं चाहता है,उसके लिए तो एक ग्रन्थ भी छोटा पड़ जायेगा।
मेरा उद्देश्य किसी के ह्रदय को कष्ट पहुचना नहीं है अपितु सत्य को सामने रखना है.अतः पुनः वही बात कहूँगा की अति ज्ञानी, लम्पट और हर बात में निंदा खोजने वाले लोग पोस्ट से दूर रहे ये पोस्ट केवल उनके लिए है,जिनका विश्वास है की में उनका अनुचित मार्गदर्शन नहीं करूँगा।

भगवती प्रणाम .....!!!

शुक्रवार, 8 जनवरी 2016

क्लेश नाशक तंत्र प्रयोग:



यदि घर में पति-पत्नी की नहीं बनती है औए प्रतिदिन घर में क्लेश की स्थिति रहती है तो नित्य प्रातःकाल सूर्योदय के समय पति या पत्नी एक ताम्बे के लोटे में थोडा सा गुड़ और एक छोटी इलायची डाल कर सूर्य देव के सामने बैठ कर श्री हनुमान चालीसा के दो पाठ कर सूर्य देव को अर्घ्य प्रदान कर दें. कुछ ही दिनों में पति व पत्नी तथा परिवार के अन्य सदस्यों के मध्य सद्भावनापूर्ण व्यवहार होने लगेगा।
प्रत्येक मंगलवार तथा शनिवार सांयकाल श्री हनुमान चालीसा के पांच पाठ सामने गुग्गल का धूप जला कर करे तो घर की सन्तान नियंत्रित होती है. घर में कोई संकट नहीं आता है विद्या बुद्धि बल बड़ता है समस्त दोष स्वत: ही समाप्त होने लगते है।

भगवती प्रणाम......!!!

गुरुवार, 7 जनवरी 2016

शत्रु को नष्ट करने का तंत्र प्रयोग




दोेस्तो,इस दुनिया में कोई विरला हीं होगा जिस के कोई शत्रु न हों
इस लिए मेरा ये उपाय सभी की लिए हैं
कहते है की क़ामयाबी की साथ शत्रु फ्री मैं मिलते हैं , हम यदि अच्छा जीवन यपान कर रहे है, तो लोग अनायास हीं शत्रु बन जाते है.
शत्रु चाहें केसा भी हों.., वो आपके विरूद अपना 100% देता हैं ....
कोई तंत्र प्रयोग करता हैं , कोई किसी ना किसी तरह का सडयंत्र रचता हैं
आज की इस प्रयोग से आप अपने शत्रु पर हर तरह से लगाम लगा सकती  हैं
प्रयोग पर आने से पहले एक चेतावनी दे रहा हुँ
" सिर्फ आजमाने वाले.., और  व्यर्थ में किसी को परेशान करने के उद्देस्य से इस प्रयोग को न करे., अन्यथा  भगवती कुपिेत हो कर  उसी का भक्षण  कर लेती हैं
अब प्रयोग पर आते है
बुधवार की रात्रि में ११ नींबू लेकेर माँ के तस्वीर के सामने  सिंदुअर  में सरसो का तेल मिला कर सभी ११ नीम्बुओं पर
किसी कील  से अपने शत्रु का नाम लिखे ओर  इस मंत्र की ३ माला जाप करें ., जाप के बाद इन नीम्बुओं कों कहि खाली ज़मीन मैं गाड़ देवे
इससे शत्रु आपका कुछ नही बिगाड़ पायेगा
मंत्र: " ओम क्रीं शत्रु नाशिनी  क्रीं फट "

चेतावनी पुनः याद रहें...

भगवती प्रणाम......!!!

तंत्र में बलि



तंत्र एवम् माँ



तंत्र के अनुसार ब्रह्मांड की रचना माँ काली ने की. हमारे शरीर के अंदर लघु ब्रह्मांड है, जिसमे काली के दस रूप मूलाधार में विराजमान हैं. तांत्रिक मंत्र मूलतः नाद -स्वर हैं, जो ब्रह्मांड में भी मौज़ूद हैं. जब हम किसी महाविद्या का मंत्र जाप करते हैं तो ब्रह्मांड में मौज़ूद उस नाद से जुड़ जाते हैं. इसलिये कोई भी दूसरा व्यक्ति आपके लिए मंत्र पाठ कर ही नहीं सकता. उसका फल आपको कदापि नहीं मिल सकता.

जहाँ तक बलि का सवाल है, जिस जीव की आप बलि ले रहे हैं उसका सृजन भी तो माँ काली ने ही किया है, तो आपको लाभ और उसे मृत्यु को वह कैसे और क्यों पसंद करेंगी ? स्पष्ट है कि यह सब कृत्रिम रूप से आरोपित प्रक्रियाएँ हैं जो कुछ शताब्दियों से तंत्र के नाम पर जोड़ दी गयी हैं.

शाक्त मत के दो संप्रदाय हैं-समयाचार या दक्षिणाचार, और वामाचार..हृदय में चक्र भावना के साथ पाँच प्रकार के साम्य धारण करने वाले शिव ही समय कहलाते हैं. शिव और शक्ति का सामरस्य है. समयाचार साधना में मूलाधार से सुप्त कुण्डलिनी को जगा कर अंत में सहस्रार में सदा शिव के साथ ऐक्य कराना ही साधक का मुख्य लक्ष्य होता है. कुल का अर्थ है कुण्डलिनी तथा अकुल का अर्थ है शिव. दोनों का सामरस्य कराने वाला कौल है.

कौल मार्ग के साधक मद्य, माँस, मत्स्य, मुद्रा और मैथुन नामक पंच मकारों का सेवन करते हैं. ब्रह्मरंध्र से स्रवित मधु मदिरा है, वासना रूपी पशु का वध माँस है, इडा-पिगला के बीच प्रवाहित श्वास-प्रश्वास मत्स्य है.  प्राणायाम की प्रक्रिया से इनका प्रवाह मुद्रा है तथा सहस्रार में मौज़ूद शिव से शक्ति रूप कुण्डलिनी का मिलन मैथुन है
बलि का मतलब होता है किसी का अंत। इसलिए तंत्र में बलि की महत्वता है। क्योंकि बलि की गई वस्तु वापस नही आ सकती है। त्याग की गई वस्तु को वापस अपनाया जा सकता है पर बलि देने के बाद हम उस वस्तु को पहले के सामान कभी भी अपना नही सकते
आम साधक बलि का सही भावार्थ नही समझ पाते हैं। बलि को हमेशा किसी प्राणी के अंत से ही देखा जाता है। परन्तु सही रूप में बलि तो हमें अपने अन्दर छिपे दोष और अवगुणों का देना चाहिए। वाम मार्ग में तथा तंत्र में एक सही साधक हमेशा अपने अवगुणों की ही बलि देता है। हमेशा भटके हुए साधक, जिन्हे तंत्र का पूरा ज्ञान नही है वह दुसरे जीवों की बलि दे कर समझते हैं की उन्होंने इश्वर को प्रसन्न कर दिया। पर माँ काली का कहना है की उन्हे साधक के अवगुणों की बलि चाहिए ना की मूक जीवों की।
जहाँ तक बलि का सवाल है, जिस जीव की आप बलि ले रहे हैं उसका सृजन भी तो माँ काली ने ही किया है, तो आपको लाभ और उसे मृत्यु को वह कैसे और क्यों पसंद करेंगी ?
त्यागी व्यक्ति को हमेशा यह भय रहता है की कही वह अपनी त्याग की गई वस्तु,आदत को वापस न अपना लें। इसलिए त्यागी संत या साधक पूरी तरह से निर्भय नही हो पाते हैं। परन्तु तांत्रिक साधक जब बलि दे देता है तो वह भयहीन हो जाता है। इसलिए वह बलि देने के बाद माँ के और समीप हो जाते है।
यदि एक उच्च कोटि का साधक बनना है तो बलि देने की आदत जरुरी है। बलि का मतलब यहाँ हिंसा से कभी भी नही है।
एक सफल साधक साधना में लीनं होने के लिए निम्न प्रकार की बलि देता है:

निजी मोह
निजी वासना
लज्जा की बलि
क्रोध की बलि

इसलिए त्याग से उत्तम बलि देना होता है। जो मनुष्य गृहस्थ आश्रम में है तथा सामान्य भक्ति करते हैं वह अपने जीवन में अगर कुछ हद तक मोह,वासना,ईष्या,और क्रोध की बलि दें तो वह इश्वर के समीप जा सकते है और उनका जीवन सफल होता है।




भगवती प्रणाम.....!!!

दीक्षा क्या होती है ?


अब इस विषय में लिखना अनिवार्य सा लगता है। आज कल जहाँ कुछ लोगो ने दीक्षा को एक बाजार की दुकान की तरह बना दिया है की जिसे भी चाहिए आकर ले जाओ। नही आ सकते तो अपनी फ़ोटो भेज दो,या कोई वस्त्र। इतनी कीमत दो पर भैया दीक्षा ले जाओ......
आखिर क्या बला है ये दीक्षा???? जिसके लिए लोग इतने लालायित से रहते है की कोई उन्हें दीक्षा दे दे।
कुछ समय पूर्व मैंने " तंत्र में बलि " पर एक पोस्ट लिखी थी। उसे काफी सारे लोगो ने पढ़ा और समझा। आज एक अत्यंत गूढ़ विषय पर कुछ लिखने जा रहा हु।
आशा है की आप इसे भी समझगे


दीक्षा क्या होती है ?
एक सक्षम व्यक्तित्व के द्वारा अपने अनुभवों, ज्ञान व अपनी शक्तियों का अणु रूप में अन्य सुपात्र जीवों के साथ विधिवत व सुरक्षित बांटना या हस्तांतरित करने की प्रक्रिया ही दीक्षा लेना या दीक्षा देना कहलाती है !

जब कोई व्यक्ति अपने आत्मिक/ भौतिक उन्नति अथवा अन्य किसी प्रयोजन से किसी गहन सार्थक कर्म करने के उद्देश्य से उस विषय में किसी सक्षम मार्गदर्शन व ज्ञान देने वाले योग्य व्यक्तित्व को अपने हृदय में अपने आत्मपथप्रदर्शक गुरु में रूप में धारण कर उसके सम्मुख जाकर उससे अपने आत्मोत्थान हेतु निवेदन करता है , तब गुरु उसकी पात्रता का विश्लेषण कर अनेक अनुष्ठान संपन्न कराते हुए अपनी उर्जा को अपने शिष्य के साथ बांटने का मानसिक संकल्प लेते हुए गुरु उस साधक द्वारा विशेष पश्चाताप, यज्ञादि अनुष्ठान संपन्न कराकर आवश्यकता व दीक्षानुसार मन्त्रों द्वारा अनेक द्रव्यों से अभिसिंचन करते हुए अभिषिक्त कर उसकी देह, मन व आत्मा को ग्राह्य व निर्द्वंद बनाकर दीक्षा ग्रहण करने योग्य बनाते हैं !

जिस प्रकार बीज भूमि से बाहर ओर डिम्ब गर्भ से बाहर फलीभूत नहीं हो सकता है, उसी प्रकार कोई भी मन्त्र या साधना परिपक्व हुए बिना सार्वजनिक होने पर निष्फल हो जाती हैं ! ओर इसी प्रकार दीक्षा लिए बिना की गयी साधना भी निष्फल ही होती है, यह पृथक विषय है की बिना दीक्षा के दीर्घकाल तक मन्त्र जप व यज्ञादि करने से थोड़ी सी ऊर्जा अवश्य उत्पन्न होकर आंशिक अनुभूति मात्र करा देती है, अथवा संयोगवश कुछ सकारात्मक घटित हो सकता है, किन्तु यह साधना का परिणाम नहीं होता है, साधना का परिणाम तो दीक्षा के उपरान्त ही प्राप्त होता है !

जिस व्यक्तित्व ने जो साधना स्वयं दीक्षित होकर पूर्णता से विधिवत सिद्ध कर ली हो वह व्यक्तित्व अपने गुरु से आज्ञा मिलने पर केवल उस विषय की ही दीक्षा दे सकता है , अन्य किसी ऐसे विषय की दीक्षा वह नहीं दे सकता है जो साधना उसने स्वयं विधिवत् दीक्षित होकर पूर्णता से विधिवत सिद्ध ना कर ली हो, अर्थात जो पदार्थ उसके स्वयं के पास ही नहीं है वह उस पदार्थ को किसी अन्य को कैसे दे सकता है ??
परंतु आजकल क्या हो रहा है वो सभी जानते है।
आजकल सब शिष्य बनाना चाहते है किन्तु गुरु कोई नही बनना चाहता। जबकि सत्य यही है की शिष्य बनाना आसान है पर गुरु बनना मुश्किल।
अपनी अर्जित सम्पत्ति को देना दीक्षा है।
आपको भी आपके गुरु प्राप्त हो एवम् आप भी उचित मार्ग से दीक्षा ग्रहण करे
इसी कामना के साथ.....जय माँ
अभी के लिए आज्ञा



भगवती प्रणाम.....!!!
गुरूमाई प्रणाम....!!!

मंगलवार, 5 जनवरी 2016

मिट्टी का चमत्कारी प्रयोग



जय माँ
सुख,सौभाग्य, आरोग्य,वैभव,आदि की प्राप्ति हेतु आज का प्रयोग है। मंदिर की मिट्टी आपको ऐसा लाभ भी दे सकती है ये देख कर आप आश्चर्य करेगे। सहज,किन्तु विलक्षण प्रयोग आपको पूर्ण सफलता प्रदान करेगा।
मंगलवार के दिन सुबह बरगद के पेड़ के जड़ के पास से थोड़ी से मिटटी एवं ऐसी तरह से केले के पेड़ से थोड़ी मिटटी लेकर घर आ जाए
ध्यान रहे की यदि केले का पेड़ घर में हो तो भी मिटटी कहि बहार से ही लानी है , घर की मिटटी काम नही आएगी
अब घर आकर पूजा स्थान में किसी चाँदी के पात्र में दोनों मिटटी गंगाजल मिला कर  मिला ले और रोज़ इसका तिलक किया करे
हर पूर्णिमा को फिर से नई मिटटी लावे और यदि पुरानी मिटटी बच गयी होतो ऐसे जल परवाह कर देवे
या पीपल के निचे छोड़ देवे
ये तिलक आपको मानसिक शांति , आरोग्यता , एवं सुख समृद्धि प्रदान करेगा ...

माँ सभी का कल्याण करे 

भगवती प्रणाम .....!!!

सोमवार, 4 जनवरी 2016

हनुमान जी का दिव्य प्रयोग:





जय माँ
आज वर्ष का प्रथम मंगलवार है। एक छोटा सा उपाय और पुरे वर्ष मंगलमय जीवन।
प्रातः काल 9 बजे से पूर्व अथवा सांय 6 से 7 के मध्य इस उपाय को करे। किसी भी हनुमान मंदिर ,जो मंदिर चौराहे के पास हो यदि वो मिल जाये तो अति शुभ है में हनुमान जी को 5 लौंग के बीड़े ( लौंग वाले पान )
5 बारीक़ बूंदी के लड्डू,एवम् 1 किलोग्राम लाल मसूर की दाल अर्पित करे। एक घी का दीपक एवम् धुप कपिराज को प्रदर्शित करें एवम् अपने इष्ट पाठ आदि करे।
आजनन्ये से अपने परिवार की मंगल कामना करे व् घर आ जाये।
श्री रामदूत बालाजी महाराज आपका कल्याण करे।



भगवती प्रणाम......!!

रविवार, 3 जनवरी 2016

विवाह हेतु तंत्र प्रयोग




सियार सिंघी बहुत ही चमत्कारी होती है , इसे घर में रखने से सकारात्मक उर्जा का अनुभव होता है ! सियार सिंघी बालो का एक गुच्छा होता है ! असल में सियार के सिंघ नहीं होते परन्तु कुछ सियारों के नाक के ऊपर बालो का एक गुच्छा बन जाता है , धीरे धीरे वह कड़ा हो जाता है और सिंघ जैसा बन जाता है इसे सियार सिंघी कहते है और यह हजारों में से किसी एक के नाक पर होता है ! इसमें वशीकरण की अद्भुत शक्ति होती है , यदि इसे सिद्ध कर लिया जाए तो यह शक्ति हजारों गुना बढ़ जाती है ! इसके द्वारा आप किसी से भी अपना मनोवांछित काम करवा सकते है ! इसे सिद्ध करने की अनेकों विधियाँ है , पर यदि इसे होली या दिवाली के दिन सिद्ध किया जाए तो इसका चमत्कार बड़ी जल्दी नज़र आता है !

विवाह हेतु तांत्रिक प्रयोग

किसी भी मंगलवार के दिन पूर्व दिशा में मुह करके बैठे ! सामने एक बाजोट पर लाल कपडा बिछा लेवे !इस पर एक  सियार सिंघी को रख देवे ! इसकी पूजा करे , धुप -दीप करे , एवं शुद्ध घी का दीपक जलावें !
अब काली वैजयंती माला से इस मंत्र की ११ माला जाप करे ....प्रतेयक मंगलवार को यह प्रयोग करना चाहिए ! कभी कभी किसी दोष से विवाह में विलम्ब होता है तो फल थोड़ा देर से प्राप्त होता है !
परन्तु ये प्रयोग अचूक है ! ऐसे करने से कुछ समय में योग बनने लगते है !
मंत्र :

ओम कलीम कालिके , शिवप्रिये मम कार्य सिद्धिम करि करि स्वाहा

भगवती प्रणाम .....!!!

शनिवार, 2 जनवरी 2016

श्री हनुमान जी का अद्द्भुत प्रयोग


जय माँ
कल मैंने एक प्रयोग के बारे में बात की थी , यह प्रयोग यदि पारद हनुमान पर किया जाए तो इसका फल सर्वोत्तम और मूंगे की हनुमान प्रतिमा पर उत्तम प्राप्त होता है .इस प्रयोग में हनुमान जी की पूजन की तांत्रिक विधि जो गुप्त आदि गुप्त है , उजागर की गयी है
किसी हनुमान मंदिर में भी ये किया जा सकता है  .परन्तु ऐसे हनुमान जी की फोटो के समक्ष न करे .
आलोकिक शक्ति , भक्ति और क़र्ज़ मुक्ति के लिए ये प्रयोग अति उत्तम है .
अपने कार्य का संकल्प लेकर यह प्रयोग सप्ताह में २ बार , मँगल एवं शनिवार को करते रहे .
सिद्ध पारद हनुमान प्रतिमा , मूंगे की प्रतिमा या किसी हनुमान प्रतिमा के सामने मन में हनुमान जी का ध्यान करे और दाए हाथ में लाल पुष्प , सिंदूर एवं चावल लेकर संकल्प करे ! सर्सो के तेल का आटे का दीपक जलावें , यह दीपक चावल के आसान पे रखे ! गुग्गल की धूप देवे .
अब प्रतिमा को गंगाजल से स्नान करवाये , और अपना पाठ आदि करे ! ५ माला रुद्राक्ष की माला पर यह मंत्र जापे !
" हं हनुमंते रुद्रात्मकाय हुम फ़ट "
जाप के बाद हाथ मैं गंगाजल लेकर अपना सम्पूर्ण फल हनुमान जी को अर्पित कर देवे .और हाथ
का जल धरती पर छोड देवे !
अब ऊपर लिखा मंत्र बोलकर ज़ोर से ताली बजावै और दोनों हाथो से ज़ोर से ही चुटकी बजा कर अपने दोनों कानो का स्पर्श करे .
दीन बनकर अपना कार्य कपिराज से दोहराये ! और अपना आसान छोड देवे .
माँ आप सभी की मनोकामना पूर्ण करे .....

भगवती प्रणाम .......!!!

काम्या अर्क


जय माँ.....
आज की पोस्ट को पढ़ कर आप चकित रह जायेगे की अभी तंत्र इतना गोपनीय है की ऐसा भी होता है।
आज हम तंत्र के गोपनीय विषय रस तंत्र के बारे में बात कर रहे है। आज दुनिया रस तंत्र को सिर्फ पारद विग्रह के कारन ही जानती है या फिर सबको लगता है की रस तंत्र सिर्फ पारद विग्रह तक ही सीमित है। परंतु  ऐसा नही है, ये वहीँ रस तंत्र है जिससे पारद से स्वर्ण बनाया जाता था। इसके साथ एक गोपनीय बात ये भी है की रस तंत्र में अनेको दिव्य अर्को का निर्माण भी किया जाता है।
वैसे तो रस तंत्र के पूर्ण साधक अब कुछ ही बचे है फिर भी आजकल मार्केट मे पारद विग्रह सब्जी के भाव बिक रहे है। माँ जाने की इनके पास ऐसी कौन सी दिव्य शक्ति है जिससे ये 2 दिनों में अनेको पारद विग्रहो का निर्माण कर लेते है। नही तो मुझ जैसे मुर्ख को तो 15 दिन लग जाते है एक विग्रह के निर्माण में।
खेर, ऐसे सर्वशक्तिशाली महानुभवों के लिए मैं मूढमति कुछ नही कह सकता। वो अपना कार्य कर रहे है और मैँ अपना।
आज मैँ आपको एक दिव्य अर्क के बारे में बताने आया हु। ये अर्क कितना महत्वपूर्ण होगा इसका अनुमान आप इसी बात से लगा सकते है की मैँ स्वयं इसका सेवन करता हु। कुछ साधको की संकीर्ण मानसिकता,कुछ उन महा शक्तिशाली लोगो की करनी और कुछ तंत्र की गोपनीयता ने ऐसा किया की ये अर्क सदा से गुप्त ही रह गया। एक साधक को पारद विग्रह के निर्माण में जितना श्रम करना पड़ता है उससे कहि अधिक श्रम साध्य है इन अर्को का निर्माण। इसलिए आज तक किसी ने इसे उजागर नही किया।
पर मैं तो अपनी उस ज़िद और आदत से लाचार हु की सिमित परिधि में तंत्र के गोपनीय विषयो को सामने लाऊगा।
उसी दिशा में आज बात करते है काम्या अर्क पर।

क्या है काम्या अर्क:
पारद के अष्ठ संस्कार एवम् दिव्य ओसद्यो के मिश्रण से बनता है ये अर्क। इसके निर्माण के समय एक साधक पारद के अष्ठ संस्कार करते है और दूसरे भगवती त्रिपुर सुंदरी के मंत्रो के अनवरत जाप  करते है।
इसके बाद एक गोपनीय विधि से इस अर्क को शक्तिकृत किया जाता है और फिर भगवती को अर्पित किया जाता है। अब हमे प्राप्त होता है यह काम्या अर्क।
यह अर्क परम सौभाग्य को देने वाला है।

काम्या अर्क और उसके लाभः
वेसे तो इसके लाभ अकथनीय और अवर्णीय है फिर भी आप लोगो की जानकारी के लिए कुछ लाभ यहाँ बता रहा हु।
1. इस अर्क का सेवन करने से सप्त चक्र संतुलित रहते है और जब चक्र संतुलन में रहे तो कोई रोग नही होता।
2. अर्क का सेवन करने वाले से नकरत्मक्ता सदैव दूर रहती है।
3. संध्या के समय एक पात्र में थोडा जल लेकर अर्क की 7 बुँदे डाल कर इस जल के छीटें घर में देने से घर का वास्तु दोष समाप्त होता है, घर पर किसी का पर प्रयोग असर नही करता एवम् घर सदा सुरक्षित रहता है।
4. अर्क का सेवन करने से रक्त में  कोलेस्ट्रॉल की मात्रा नही बढ़ती , ह्रदय मजबूत रहता है और heart attack का खतरा नही रहता।
5. नहाने के पानी में इस अर्क की 4 बुँदे डाल कर नहाने से पुरे दिन की तंत्र सुरक्षा प्राप्त होती है।
6. किसी रोगी व्यक्ति के सर से थोड़े बाल लेकर किसी मिट्टी के पात्र में रख लेवे और उस पर एक चमच्च अर्क डाल देवे और इस पात्र के समक्ष प्रतिदिन एक माला महा मृत्युंजय मंत्र की करे तो आप पायेगे की कुछ ही दिनों में रोगी स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर रहा है 
7. इसी तरह से एक काँच की छोटी बोतल में साध्य के सिर के बाल लेकर उसमे 11 बुँदे अर्क की डाल दे और इस बोतल का मुँह ठीक से बन्द कर के इसके सामने हनुमान जञ्जीरा मन्त्र की 1 माला जाप करे ( यह मन्त्र पूर्व में ही दिया जा चूका है ) और इस बोतल को किसी भी हनुमान मंदिर में गाड़ देवे तो जब तक ये बोतल गड़ी है साध्य व्यक्ति जिसके बाल इसमे है उस पर कोई तंत्र प्रयोग असर नही कर सकता। 
8. जिन लोगो को पुरानी सर्दी खाँसी, दमा, जुखाम आदि हो वे इस अर्क का सेवन करके अपने रोगों से मुक्ति पा सकते है।
9. आज्ञा चक्र पर प्रतिदिन अर्क की मालिश करने से कुछ दिनों में आज्ञा चक्र जाग्रत होता है जिससे साधना में एकाग्रता आती है और स्मरण शक्ति का विकास होता है।
10. यदि नियमित अर्क का सेवन किया जाये तो लगभग 150 से अधिक रोगों से बचाव होता है।
11. अर्क की एक बून्द जल में डाल कर अपने इष्ठ को इस जल से स्नान करवाने पर उनकी पूर्ण कृपा प्राप्त होती है।

ये तो मात्र कुछ अंश है इस अर्क के बारे में। जब आप इसकी मात्र एक बून्द का सेवन करेगे तो आप साक्षात् भगवती की अनुकम्पा का अनुभव करेगे। यहाँ तक की इसकी सुगंध मात्र ही आपको परम अनुभूति करवा देगी।
मकर सक्रांति के पावन अवसर पर गुरूमाई और माँ आद्या जी के आशिर्वाद स्वरूप प्रथम बार इस अर्क का  निर्माण जन साधारण हेतु किया जा रहा है।
इछुक जन 11 जनवरी तक अनुरोध कर सकते है।
शेष बाते फिर कभी
अभी के लिए आज्ञा




भगवती प्रणाम......!

"शिवपद"


आज का ये प्रयोग अपने आप में सरल, परंतु विलक्षण है
इस प्रयोग से भगवान शिव, देवाधिदेव महादेव का प्रिय बना जा सकता हैं...
और जब कोई स्वयं महादेव का ही प्रिय होतो फिर किसी बात की क्या फ़िक्र
प्रयोग: सोमवार से प्रारम्ब करें..,प्रातः काल ९ बजे से पहले शिवमंदिर मैं जाए!
अपने साथ एक आसन और एक रुद्राक्ष  की माला लेकर जाए!
शिवमंदिर में जाकर सर्वप्रथम महादेव को प्रणाम करें और फिर आसन पर बैठ कर इस मंत्र का ११ माला जाप करे ...

पुरषों के लिए मन्त्र : नमः शिवाय
महिलाएं : शिवाय नमः 
मंत्र पूरी तरह से ठीक है .. अत अपनी ओर से कुछ न लागए
जाप के बाद शिवमंदिर में झाड़ने-भुहारने का काम अवस्य करें और फिर वही से हाथ मुँह धोकर घऱ आ जाएं 
अब आप लोग सोचेंगे की इसमें ऐसा क्या विलक्षण है ??
आप लोगों को पता है की मेरे सारे प्रयोग अनुपम-अनुभूत्त- होते है, इस साधारण से लगने वाले प्रयोग में कितना आनंद ओर प्रभाव छुपा है, इसे आप लोग स्वयं अनुभव करें
और हा... एक ओर बात जिन लोगों को गुरु की तालाश हैं इस प्रयोग से
शिव कृपा से उन्हें सदगुरू की प्राप्ति होती हैं....

भगवती प्रणाम....!!!

वर्षभ राशि एवम् 2016



.वृषभ राशिफल.
पारिवारिक जीवन:-

नए साल में आपकी पारिवरिक स्थिति बेहतर रहने वाली है, बस ज़रूरत है सभी लोगों के साथ स्नेह और आपसी सौहार्द के साथ पेश आने की। परिवार के लोगों के सुझावों पर अमल करना आपके लिए फ़ायदे का सौदा हो सकता है, लेकिन इसके विरूद्ध जाना घातक हो सकता है। शनि के सातवें भाव में होने के कारण योगकारक योग बन रहा है, जो आपके लिए कुछ परेशानियों को जन्म दे सकता है, लेकिन कुछ ज़्यादा हानि होने की संभावना नहीं है। माँ के साथ कुछ नाराज़गी हो सकती है तथा उन्हें स्वास्थ्य संबंधी भी कुछ परेशानियाँ हो सकती हैं, अतः उनका समुचित ख़्याल रखें और व्यावहारों में संयम बरतें।। पिता जी के साथ आपके संबंध बेहतर रहेंगे। यह साल उनके लिए बेहतर साबित होगा और कारोबार में मुनाफ़ा होगा। ठीक आप ही की तरह आपके जीवनसाथी का भी संबंध माँ के साथ ख़राब रहेगा और पिता के साथ मधुर। आपके लिए यह अच्छा होगा कि आप ख़ुद भी माँ-बाप का ख़्याल रखें और जीवनसाथी से भी ऐसा करने के लिए कहें। परिवार से बैर करना कदापि उचित नहीं होता है।

स्वास्थ्य:-

सामान्यतः आप निरोगी काया के स्वामी होते हैं। इस वर्ष भी आप रोग-मुक्त रहने वाले हैं। लेकिन कुछ लोग मोटापे का शिकार हो सकते हैं, अतः खान-पान पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। अगस्त के बाद मसालेदार और तेल वाले आहार के प्रति आपका रूची बढेगी, इसे नियंत्रित करने की कोशिश करें। आलस्य का त्याग करें और स्फूर्ति के लिए व्यायाम करें। हालाँकि समय के साथ कुछ परेशानियाँ हो सकती हैं, जैसे - पेट, आँत और जोड़ों में दर्द के अलावा सिरदर्द और आँखों में दर्द रहने की संभावना है। अतः सेहत को लेकर कोई लापरवाही न करें।

आर्थिक स्थिति:-

आपकी आर्थिक स्थिति के बारें में क्या कहना, इस साल तो आपकी बल्ले-बल्ले रहने वाली है। अगस्त माह के बाद तो स्थिति और भी सुदृढ होने वाली है। विभिन्न स्रोतों से धन का आगमन होगा। शेयर बाज़ार से भी लाभ होने की संभावना है, लेकिन अगस्त के बाद। इससे माह से पहले अार्थिक स्थिति थोड़ी कमज़ोर रह सकती है। ख़र्चों पर नियंत्रण और भावनाओं पर काबू रखने की ज़रूरत है। व्यर्थ की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि इस साल आपकी ज़िन्दगी एक धनवान सेठ के माफ़िक गुज़रने वाली है।

नौकरी पेशा:-

यदि आप नौकरी पेशा हैं तो यह साल कुछ ख़ास अच्छा नहीं रहेगा। लोग आपके विरूद्ध षड्यंत्र भी बना सकते हैं। बेवज़ह आपके ऊपर आरोप भी लगाया जा सकता है, जिससे आप काफ़ी तनाव महसूस करेंगे। अपने आँख-कान को खोलकर रखें, अन्यथा स्थितियाँ आपके काबू से बाहर हो सकती हैं। आपके लिए यह आवश्यक है कि जब तक आपकी नौकरी नहीं लग जाती है, वरिष्ठ लोगों के साथ अपने रिश्तेे को बनाए रखें। अन्यथा परेशानियाँ बढ़ सकती हैं और नौकरी भी हाथ से जा सकती है। सरकारी नौकरी वालों को ज़्यादा नुक़सान हो सकता है, अतः पूरी एहतियात बरतें।

व्यवसाय:-

व्यवसाय से जुड़े लोगों को उनके परिश्रमों का फल प्राप्त होगा। यदि आपका जीवनसाथी भी व्यापार में भागीदार है तो अपार मुनाफ़ा हो सकता है। हालाँकि आपके ऊपर धोखा-धड़ी और विश्वासघात का आरोप भी लग सकता है, अतः आर्थिक मामलों में पूरी एहतियात बरतें। ब्याज़ पर पैसे देते समय बहुत ज़्यादा सावधानी बरतने की आवश्यकता है, क्योंकि अगस्त तक समय आपके अनुकूल नहीं है। इस माह के बाद निश्चित ही आपके अच्छे दिन आएंगे और भाग्य आपके द्वार पर दस्तक़ देगा। भले ही आपको अनेक बाधाओं का सामना करना पड़े, लेकिन आपकी जेब कभी खाली नहीं रहने वाली है।



सावधानी बरतने वाले दिन:-

जब भी चंद्रमा सिंह, कुम्भ, मेष या धनु में प्रवेश करे उस समय अपने बर्ताव को लेकर ज़्यादा सज़ग रहें। इस अवधि में किसी भी प्रकार के महत्वपूर्ण निर्णय लेने से बचें। दूसरी तरफ़ मंगल के वृश्चिक, कुम्भ या सिंह में प्रवेश करने पर शांति और संयम से काम लें। मार्च 19 से अप्रैल 3 तक और सितंबर 12 से अक्टूबर 10 तक पारिवारिक और आर्थिक मामलों से संबंधित निर्णय न लें।

उपाय:-

अपने आप को नियंत्रित रखना दुनिया का सबसे बड़ा उपाय है, लेकिन यह सभी के लिए संभव नहीं है। यदि आप शनि की अंतरदशा या महादशा से गुजर रहे हैं तो दशरथ रचित शनि स्त्रोत और हनुमान चालिसा का पाठ करना बेहद ही कारगर साबित हो सकता है। दूसरी ओर यदि आपके ऊपर बृहस्पति की अंतरदशा या महादशा चल रही है तो बृहस्पति बीज मंत्र का जप करें। पीला वस्त्र धारण करें और गुरूवार के दिन उपवास करें। जो लोग राहु या केतु की अंतरदशा या महादशा से गुजर रहें हैं, वे लोग दूर्गा सप्तशती का दिन में तीन बार पाठ करें।

शेष राशिया जल्दी ही।



भगवती प्रणाम.....!!!

भगवती स्तुति

नव ग्रह , बारह राशियाँ , काली माँ के अधीन 
ऐसे इष्ट के ध्यान में , सदा ही रहिये लीन 

कालिका माँ मुंड मालिनी , खड़ग लियो रे हाथ 
चरण -शरण में जो आये , सर्वदा उनके साथ 

आदि -अनादि जड़ -चेतन इसी के माया रूप 
तीनो लोक सम्हालती , इसकी कला अनूप 

जय माँ 

भगवती प्रणाम ......!!!

शुक्रवार, 1 जनवरी 2016

जिन्न एवम् उनकी दुनिया



हिंदू धर्म में आत्माये-प्रेत और पिशाच, ईसाई मे डेविल या स्पिरिट और इस्लाम धर्म में जिन्नों के अस्तित्व को स्वीकार किया गया है.इस्लाम धर्म को मानने वाले लोग जरूर जिन्नों के विषय में बहुत हद तक जानकारी रखते होंगे लेकिन कुछ बातें ऐसी हैं जो सभी को जाननी जरूरी है जैसे जिन्नो को हाजरात मे या हमजाद मे कैद कर सकते है और जिन्नो से मित्रता भी संभव है. जिन्नो को सबसे ज्यादा हिना का इत्र पसंद है,जो व्यक्ति इस प्रकार के इत्र का इस्तेमाल करता है उस पर जनु का साया मंडराता रहेता है.जिन्न अरबी भाषा से लिया गया शब्द है क्योंकि सबसे पहले जिन्नों के होने का एहसास अरबी देशों में ही हुआ था.इस शब्द का अर्थ अंग्रेजी भाषा के ही एंजेल्स की अवधारणा से मिलता-जुलता है जिसका अर्थ अलौकिक और ना दिखने वाली ताकत है.कुरान के अनुसार जिन्न का उद्भव हवाओं में से हुआ है,कह सकते हैं कि जिन्न नकारात्मक या सकारात्मक ऊपरी हवाओं से संबंधित है.इस्लाम की मान्यताओं के अनुसार मरने के पश्चात इंसान जिन्न बन जाता है और अपनी किसी इच्छा को पूरी करने के 1000 वर्षों बाद दुनिया को छोड़कर चला जाता है और इस बीच मे जिन्न लोगो की मदत करता है परंतु कुछ लालची लोग जिन्नो से बुरे काम करवाते है.

जिन पाच प्रकार के होते है-

(1) मरीद: जिन्न की सबसे खतरनाक और ताकतवर प्रजाति है मरीद.आपने कई बार इन्हें किस्सों और कहानियों में सुना होगा. लोकप्रिय कहानी अलादीन का चिराग में भी इसी जिन्न को शामिल किया गया था. इन्हें समुद्र या फिर खुले पानी में पाया जा सकता है.यह हवा में उड़ते हुए भी देखे जा सकते हैं.

(2) इफरित: इंसानी दुनिया जैसे ही इफरित जिन्नों की भी दुनिया होती है जिसमें महिला और पुरुष दोनों इफरित साथ रहते हैं. यह इंसानों को समझने की ताकत रखते हैं और बहुत ही जल्द इंसानों को अपना दोस्त बना लेते हैं.इफरित अच्छे भी होते हैं और बुरे भी लेकिन इन पर विश्वास करना घातक सिद्ध हो सकता है.

(3) सिला: सिला प्रजाति में सिर्फ महिला जिन्न ही होती हैं जो देखने में बेहद आकर्षक और खूबसूरत होती हैं.इंसानी दुनिया में विचरण तो करती हैं लेकिन उनसे दूरी भी रखती हैं. सिला ज्यादा मात्रा में देखी नहीं जातीं लेकिन वह मानसिक तौर पर मजबूत और बहुत समझदार होती हैं.

(4) घूल: इंसानी मांस खाने वाली यह प्रजाति बहुत खौफनाक होती हैं. यह कब्रिस्तान के आसपास ही रहते हैं. इनका व्यवहार क्रूर और शैतान से मिलता-जुलता है इसीलिए इंसानों के लिए यह बहुत भयावह होते हैं.

(5) वेताल: यह वैम्पायर होते हैं, इंसानों के खून पर ही जिंदा रहते हैं.विक्रम वेताल की कहानियों में इसी वेताल का जिक्र था.यह भविष्य देख सकते हैं और जब चाहे भूतकाल में भी जा सकते हैं.
जानकारी कैसी लगी ,अवश्य बताये।


भगवती प्रणाम...!!!

गणेश पञ्च बाण और मूंगा गणपति


जय माँ...
तंत्र में लगभग सभी महाशक्तियों के मंत्रात्मक बाण होत हैे। इन बाणों का प्रयोग समस्याओं पर साध कर किया जाता है जिससे साध्य समस्या का अंत जड़ से हो जाता है।
बाणों में श्री गणेश पञ्च बाण का एक अलग ही महत्व है और ये इतना गुप्त है की ऐसे देखना तो दूर इसका नाम भी मात्र कुछ साधक ही जानते है।
और गुरु कृपा से यदि ये किसी को प्राप्त हो भी जाये तो या तो अधूरा होता है या फिर असुद्ध।
मुझ मूढ़मति पर मेरे गुरु एवम् माँ भगवती की असीम अनुकम्पा रही की मेरे लिए कुछ भी कभी अप्राप्य नही रहा।
आज की इस पोस्ट में, मैँ इस पञ्च बाण को तो उजागर नही कर पा रहा परंतु मूंगा गणपति पर एक विस्तृत साधना अवश्य दे रहा हु। शायद ये मूंगा गणपति पर अब तक की सबसे विस्तृत पोस्ट है।
माँ की दयावश 15 जनवरी के बाद में स्वयं मूंगा गणपति का निर्माण एवम् प्राण प्रतिष्ठा आदि का विचार कर रहा हु।
तब यदि जगदम्बा की अनुकम्पा हुई तो सत्पात्रों को गणेश जी के इस विग्रह के साथ गणेश पञ्च बाण का उपहार भी दे दिया जायेगा।
खेर,ये बाद की बात है अभी हम मूंगे के गणेश जी की साधना पर बात करते है


मनुष्य प्रयत्न करता है, परन्तु फिर भी वह  रोगों से मुक्त नहीं हो पाता, कोई न कोई बीमारी या कष्ट उसे घेरे ही रहते हैं, इसके लिए विश्वामित्र संहिता में एक उत्तम कोटि की मुंगा गणपति साधना दी गई है, जिससे साधक सभी प्रकार के रोगों से मुक्त होकर पूर्ण सुख प्राप्त कर सकता है।

शास्त्रों में गणपति के मुंगा स्वरूप को आरोग्यता, बल वृद्धि, प्राण ऊर्जा प्रदायक बताया गया है। गणपति के इस विशिष्ट स्वरूप का विधि विधान सहित पूजन सम्पन्न करने से ऊर्जा, चेतना एवं आरोग्यता प्राप्त होती है।

साधना विधान:-

मुंगा गणपति के प्राणप्रतिष्ठित विग्रह पर किसी भी बुधवार अथवा चतुर्थी को यह साधना सम्पन्न कर सकते हैं। यह साधना प्रातः 7 बजे से पूर्व सम्पन्न करें।साधना के प्रारम्भ में सर्वप्रथम गुरुदेव का ध्यान करें।इसके पश्चात् अपने सामने एक बाजोट पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर पुष्पों का आसन देकर मुंगा गणपति को स्थापित करें। भगवान गणपति के समक्ष घी का दीपक प्रज्वलित कर दें। फिर ‘ गं गणपतयै नमः’ मंत्र का उच्चारण करते हुए गणपति विग्रह पर तीन आचमनी जल अर्पित करें।

इसके पश्चात मुंगा गणपति को सिन्दूर से तिलक कर, लाल चन्दन, अक्षत एवं दूर्वादल अर्पित करें। पूजन में सम्मिलित सभी व्यक्ति हाथ जोड़कर भगवान गणपति के मुंगा स्वरूप से प्रार्थना करें कि –

‘हे! मुंगा स्वरूप गणपति आप हमारे जीवन में आरोग्यता बनाएं रखें एवं हमें बीमारियों, विपदाओं से बचाएं।’

इसके पश्चात साधक को किसी भी माला (स्वयं की) से निम्न मंत्र की 11 माला मंत्र जप करना है। परिवार के सदस्य भी अपनी स्वयं की माला अथवा जिनके पास माला नहीं है वे बिना माला के भी इस मंत्र का निरन्तर जप करें।

मंत्र:-

॥ ॐ ह्रीं गीं ह्रीं रोगनाशाय फट् ॥

Om hreem geem hreem roganaashaay phat

आरोग्यता प्राप्ति की यह बहुत छोटी लेकिन बहुत ही शक्तिशाली साधना है। इस साधना को तीन बुधवार अथवा तीन चतुर्थी तक निरन्तर सम्पन्न करना है, तीन बार साधना सम्पन्न करने के पश्चात् लाल वस्त्र में सम्पूर्ण साधना सामग्री को बांधकर जल में विसर्जित कर दें।

विशेष – इस साधना को परिवार के सभी सदस्य एक साथ भी सम्पन्न कर सकते हैं।

किसी व्यक्ति विशेष के आरोग्य के लिये भी मुंगा गणपति साधना सम्पन्न की जा सकती है, उस व्यक्ति के नाम से संकल्प लेकर पूजन सम्पन्न करें, मंत्र जप करें। मंत्र जप के पश्चात् मुंगा गणपति पर अर्पित किए हुए सिन्दूर से रोगी को तिलक करें। इस साधना से शीघ्र ही रोगी व्यक्ति को स्वास्थ्य लाभ होने लगता है। पुराने कोइ भी रोग में मुंगा गणपति की पूजा से शीघ्र ही फल प्राप्त होता है।

वैदिक ज्योतिष के अनुसार मुंगा रत्न मंगल ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है। यदि जन्म कुंडली में मंगल अच्छे प्रभाव दे रहा हो तो मुंगा अवश्य धारण करना चाहिए या फिर मुंगा गणपति जी का पुजन अवश्य करे।कुंडली में मंगल कमज़ोर होने की स्थिति में मुंगा धारण करने से उसे बल दिया जा सकता है । मुंगा धारण करने से हमारे पराक्रम में वृद्धि होती है आलस्य में कमी आती है । मुंगा कुंडली में स्थित मांगलिक योग की अशुभता में भी कमी लता है तथा इस योग के द्वारा होने वाली हानियों को ख़त्म करता है, स्त्रियों में रक्त की कमी और मासिक धर्म, और रक्तचाप जैसी परेशानियो को नियंत्रित करने में भी मुंगा अत्यंत लाभकारी होता है ।अदि आप में साहस की कमी और शत्रुओं से सामना करने की हिम्मत नहीं है तो इसमें मुंगा आपकी सहायता कर सकता है क्योकि इसके पहने से हमारे मनको बल प्राप्त होता है और फल स्वरूप हमारे भीतर निडरता आ जाती है और शत्रुओं का सामना करने की हिम्मत आ जाती है । जिन बच्चों में आत्मविश्वास की कमी और दब्बूपन मोजूद होता है उन्हें मुंगा गणपति जी का पुजन रोज करना चाहिए ताकि वे दुनिया के सामने खुल कर आ सके । पुलिस, या फोज के अधिकारिओं को मुंगा अवश्य धारण करना चाहिए । आभूषण और रेस्तरांट के व्यवसाय से जुड़े लोगो के लिए मुंगा अति आवश्यक है यह इन व्यवसायों में सफलता प्रदान करता है । मंगल के अच्छे प्रभावों को प्राप्त करने के लिए मुंगा गणपति स्थापना आवश्यक है। इसका रंग सिंदूरी लाल और बिना दाग का होना चाहिए । लेकिन सभी जातक को मुंगा धारण करने से पहले किसी अच्छे और अनुभवी ज्योतिष आचार्य की सलाह अवश्य लेनी चाहिए परंतु मुंगा गणपति पुजन करने हेतु सिर्फ आस्था जरुरी है और विश्वास जरुरी है।
माँ सभी को प्रसन्न रखे




भगवती प्रणाम.....!!!

नववर्ष एवम् राशिफल

नए साल में आपके सितारों की बात करें तो वर्ष की शुरूआत में शनि वृश्चिक में और गुरु सिंह में प्रवेश कर रहे हैं। राहु और केतु 31 जनवरी तक अपनी वर्तमान स्थान पर रहने के बाद राहु सिंह में तथा केतु कुम्भ में प्रवेश कर जाएंगे। यहाँ हम नए साल के भविष्यफल के साथ आपकी ज़िन्दगी की तमाम पहलूओं पर चर्चा करेंगे। जैसे - नए साल में आपकी ज़िन्दगी किस तरह गुज़रने वाली है? सफलता पाने के कौन-कौन से बेहतर तरीक़े आप अपना सकते हैं? कौन-कौन से दिन आपको सफलता दिलाने वाले होंगे? इसकी मदद से आप पूरे साल की सुनिश्चित और बेहतर योजना बना सकते हैं,

मेष राशिफल.

पारिवारिक जीवन:-

आपके गृहस्थ जीवन की बात की जाए तो इसमें कुछ उतार-चढ़ाव रहने की संभावना है। आपके सातवें भाव में पाप कर्तरी योग बन रहा है, जो की आपके पारिवारिक जीवन के लिए थोड़ी मुश्किलें खड़ी कर सकता है। ऐसे समय में आपको धैर्य और सतर्कता के साथ काम लेना होगा। एक बात जो आपको सभी लोगों से ज़ुदा करती है, वह है आपका अचानक क्रोधित होना और जल्दी शांत नहीं होना। यह आपके दाम्पत्य जीवन के लिए क़तई अच्छा नहीं है। आपसी रिश्तों को बरक़रार रखने के लिए यह ज़रूरी है कि आप रिश्तों को लेकर थोड़ा सजग रहें। पूरे वर्ष माँ के साथ संबंध बेहतर रहेंगे और आप उनसे अपने मन की सभी बातें साझा भी करेंगे। चंद्रमा के सिंह, वृश्चिक या कुम्भ में प्रवेश करने पर कुछ परेशानियाँ आ सकती हैं, जैसे - पिता के साथ कुछ कुछ अनबन हो सकती है या वैचारिक मतभेद हो सकता है। इस समय थोड़ा सावधान रहें और वाद-विवाद करने से परहेज़ करें। बच्चों के साथ भी कुछ अनबन होने की संभावना है और उनके स्वास्थ्य को लेकर थोड़ी परेशानी हो सकती है, अतः उनका ख़्याल रखें।

स्वास्थ्य:-

इस वर्ष आप बेहतर निरोगी काया के स्वामी रहेंगे। यूँ कहें तो अगस्त तक आप सभी प्रकार के रोगों से मुक्त रहेंगे। आपकी ज़िन्दगी आपके सुचारु रूप से चलेगी। कुछ असमंजस की स्थिति पैदा हो सकती है, लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है और यह न ही कोई बीमारी है। इससे आप जल्द ही उबर जाएंगे। ऐसा सभी लोगों के साथ होता है, इसलिए इस पर ज़्यादा सोच-विचार करने की ज़रूरत नहीं है। यदि आपके स्वास्थ्य की तरफ़ ग़ौर से देखा जाए तो पेट-संबंधी कुछ दिक़्क़तें हो सकती हैं, जैसे – बदहज़मी, यौन समस्या, जोड़ों में दर्द तथा शरीर के निचले हिस्सों में भी कुछ दिक़्क़तें हो सकती हैं। मौसम बदलने के साथ स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ कुछ ज़्यादा हो सकती हैं। वर्ष के दूसरे चरण यानि अगस्त के बाद आपको सेहत के प्रति ज़्यादा सतर्क रहने की आवश्यकता है, वरना अस्पताल जाने की भी नौबत आ सकती है।

आर्थिक स्थिति:-

धन-संपत्ति हमारे कठोर परिश्रम और काम के प्रति पूरी निष्ठा की बदौलत हासिल होती है। इसलिए इसके मामले में जोख़िम उठाना क़दापि उचित नहीं होगा। शेयर बाज़ार से दूरी बनाना निश्चित तौर पर आपके लिए लाभदायक होगा। बिना सोचे-समझे कहीं भी निवेश करने से बचें। देर-सबेर आपको ज्ञात होगा कि यह वर्ष अनावश्यक रूप से पैसे ख़र्च करने के अनुकूल वास्तव में नहीं था। हालाँकि अगस्त के बाद आर्थिक स्थितियों में सुधार होगा और जमा-पूँजी मेें भी वृद्धि होगी, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आँख मूँद कर पैसे ख़र्च किए जाएँ। यदि आप शनि और राहु की अंतरदशा या महादशा से गुज़र रहें हैं तो ज़्यादा सतर्क रहने की आवश्यकता है।

नौकरी:-

आपके दसवें भाव का स्वामी आठवें भाव में बैठा है, यह ग्यारहवें भाव का भी स्वामी है, लेकिन ग्यारहवें भाव में केतु बैठा है। ऐसी स्थिति में अपने कार्यों में किसी प्रकार की कोताही न बरतें और उसे अविलंब पूरा करने की कोशिश करें। देर-सबेर आपको अपना लक्ष्य ज़रूर प्राप्त होगा। इस समय आपको व्याकुल होने की बिल्कुल भी ज़रूरत नहीं है। आपका ध्यान सिर्फ़ और सिर्फ़ आपके लक्ष्यों पर होना चाहिए। जैसे-जैसे अगस्त माह का समय व्यतीत होगा, वैसे-वैसे आपकी परेशानियाँ भी कम होंगी और आप पहले से बेहतर ज़्यादा सुकून महसूस करेंगे। इस माह के बाद गुरू की दृष्टि धनु पर होने वाली है और गुरू का राहु के साथ युति हो रहा है, इसलिए यह कहना मुश्किल है कि कब आपका भाग्य साथ देगा और कब नहीं। अतः सबसे बेहतर है यही है कि आप अपने कर्मों पर ध्यान दें।

कारोबार:-

नए साल में कारोबारियों को मिला-जुला परिणाम मिलने वाला है। एकाग्रचित होकर होकर व्यापार के विस्तार के और नए कारोबार को शुरू करने के लिए सोचना कारगर होगा। बेकार के कुछ मुद्दें आपके लिए परेशानी खड़ें कर सकते हैं। यह सदा सत्य है कि रात के बाद दिन ज़रूर होता है, इसलिए अपने प्रयासों को ज़ारी रखें, सफलता ज़रूर मिलेगी। पैसे की आवक निर्वाध रूप से होती रहेगी, लेकिन यदि आप आर्थिक क्षेत्रों से संबंध रखते हैं तो थोड़ी हानि होने की संभावना है। धैर्य बनाएँ रखें और आर्थिक मामलों में सतर्कता बरतें। अगस्त के बाद सारी परेशानियाँ ख़ुद-ब-ख़ुद दूर हो जाएंगी, ऐसा आपके सितारों का कहना है।

प्रेम-संबंध:-

प्रेम-संबंधों के लिए यह वर्ष अनुकूल नहीं है। हालाँकि सामाजिक उसूलों को ताक़ पर रखते हुए आपका प्यार परवान चढ सकता है, लेकिन उसमें आपकी छवि ख़राब होने की संभावना है। अतः जितना जल्दी हो सकें ऐसे रिश्ते से दूरी बना लें, यही आपके लिए बेहतर होगा। अगस्त के बाद से प्रेम-संबंधों में मधुरता आने की संभावना है। क्रोध पर काबू रखें, वरना रिश्तों में दरार आ सकती है।

सावधानी बरतने वाले दिन:-

मार्च 14 से अप्रैल 14, सितंबर 01 से अक्टूबर 10 और नवंबर 16 से दिसंबर 28 की अवधि में कोई नया काम शुरू न करें और कोई महत्वपूर्ण निर्णय न ले

उपाय

आपके लग्नेश मंगल है, इसलिए दिन में दो बार हनुमान चालिसा का पाठ करना आपके लिए अतिआवश्यक है। यदि संभव हो तो नियमित रुप से कनकधारा स्त्रोत और श्रीसुक्त का पाठ करें। घर में सुख-शांति के लिए साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें। किसी प्रकार के कुड़ें-कचड़े को जमा न होने दें।

तो लीजिये, प्रथम राशि आपके सामने है। अन्य राशिया भी आ रही है।
प्रतीक्षा कीजिये।

भगवती प्रणाम.....!!!

महत्वपूर्ण कार्य में बाधा निवारण के लिए उपाय

जय माँ



यदि किसी महत्वपूर्ण कार्य में बाधा आ रही हो तो मंगलवार और शनिवार के दिन हनुमान जी के आगे देशी घी या तिल्ली के तेल के 8 चौमुखा दीपक जलाएं और वहीं बैठकर 8 पाठ संकटमोचन हनुमानाष्टक का करें। प्रत्येक पाठ के बाद 1 गुलाब का पुष्प हनुमान जी के श्रीचरणों में अर्पित करें। ऐसा करने से संपूर्ण बाधाओं का निवारण हो जाएगा !
कार्य के बाद कपिराज को लड्डू का नैवद्य अर्पित करना न भूले।
जिन साधको के पास पारद हनुमान है वे घर पर प्रतिमा के समक्ष ये प्रयोग कर सकते है

भगवती प्रणाम.....!!!